आख़िरी क़दम
आख़िरी क़दम 🚶♂️
"आख़िरी क़दम – कभी हार ना मानने की कहानी"
🌄 एक ठंडी सुबह थी पहाड़ों की।
17 साल का एक लड़का — रवि, एक ऊँची चट्टान के नीचे खड़ा था।
वो इससे पहले तीन बार कोशिश कर चुका था, लेकिन हर बार आख़िरी कुछ मीटर पर गिर जाता था। 😓
उसने खुद से कहा –
"ये मेरी आख़िरी कोशिश है। अगर इस बार भी हार गया तो शायद मैं इसके लायक नहीं हूँ…"
जैसे ही वो चढ़ाई शुरू करता है, उसके हाथ कांपते हैं, घुटनों में दर्द है, साँसें तेज़ हैं, लेकिन आँखों में एक आग है 🔥
🥾 आधे रास्ते में वो फिर से फिसल गया।
एक छोटे से पत्थर को पकड़ कर लटक गया।
शरीर कांप रहा था।
एक आवाज़ आई –
"अब छोड़ दे…"
लेकिन फिर एक और आवाज़ आई —
"रुक मत! तू बहुत पास है!"
🌤️ खून से सने हाथ और थक चुके पाँव लेकर वो फिर चढ़ता रहा।
हर इंच एक मील जैसा लग रहा था।
आख़िरकार, वो वहीं पहुँचा — जहाँ वो पहले तीन बार गिरा था —
बस 10 फीट दूर मंज़िल से।
इस बार…
वो रुका नहीं।
डगमगाया नहीं।
उसने एक और क़दम बढ़ाया…
और फिर एक और…
और फिर एक और…
🏔️ अचानक… आसमान खुल गया।
वो चोटी पर था।
उसने कर दिखाया था।
वो सिर्फ एक पहाड़ नहीं चढ़ा था —
वो अपने सपने को जी रहा था। 💫
✅ कहानी से सीख:
जब आप सबसे ज़्यादा थके, सबसे ज़्यादा टूटे हुए महसूस करें — समझिए आप सबसे ज़्यादा करीब हैं अपनी मंज़िल के। मत रुकिए। आख़िरी क़दम हमेशा सबसे मुश्किल होता है।
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